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शुक्रवार, 22 जुलाई 2011

दास्तान -ए जिंदगी.......

 दिलों में तुम अपनी बेताबियाँ लेके चल रहे हो तो
जिन्दा हो तुम,
नज़रों में अपनी ख्वाबों की बिजलियाँ लेके चल रहे
हो तो जिन्दा हो तुम |
हवा के झोकों के जैसे आजाद रहना सीखो ,
तुम एक दरिया के जैसे लहरों में बहना सीखो |
हर एक लम्हे से तुम मिलो खोले अपनी बाहें ,
हर एक पल एक नया शमां देखे ये निगाहें |
जो अपनी आखों में हैरानियाँ लेके चल रहे हो तो
ज़िंदा हो तुम ,
दिलों में अपनी बेताबियाँ लेके चल रहे हो तो जिन्दा
हो तुम ||
                           JNMD

बुधवार, 20 जुलाई 2011

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उठो रे मुसाफिर भोर हुआ है ,
गाड़ी आने वाली है !
जिस गाड़ी का टिकट कटाया ,
गाड़ी जाने वाली है !