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शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

स्वेद की बूंद

स्वेद की बूंदें,
यूँ टिकी थी माथे पर,
स्वर्णिम श्रृंगार हुआ हो जैसे|
सूरज की किरणे भी,
ढूंढ़ती हों  जैसे,
अपना बिम्ब उन्हीं  में|
हवा थी कुछ मंद सी,
और खेलती थी उन बूंदों से,
खेल लुका छिपी  का|
बनती बूंदों  को मिटाना,
फिर बनते देखना,
उन स्वर्णिम स्वेद बूंदों को|
कभी बादल भी आ जाते,
हवा के साथ और तब,
मचल सी उठती किरणे,
खोता देख अपना इन्द्रधनुष|
पर इन सबसे बेखबर,
वह तो थी मगन,
लगन से जतन से,
अपने श्रम में|
हाँ कभी कभी,
निहार लेती थी,
अपने दुधमुहे बच्चे को,
खेल जो रहा था वहीँ,
पास क्रेन की छाँव में|

बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

madhulika: ज़िन्दगी.......

madhulika: ज़िन्दगी.......: "अधूरे मिलन की आस है ज़िन्दगी . सुख -दुःख का एहसास है ज़िन्दगी .. फुर्सत मिले&nbs..."

ज़िन्दगी.......

धूरे  मिलन  की  आस  है  ज़िन्दगी .
सुख -दुःख  का  एहसास  है  ज़िन्दगी ..
फुर्सत  मिले  तो  ख्वाबो  में  आया  करो
...आपके  बिना  बड़ी  उदास  है  ज़िन्दगी

रविवार, 6 फ़रवरी 2011

उदास दिल .........

दिल  उदास   है  बहुत  कोई  पैगाम  ही  लिख  दो
तुम  अपना  नाम  ना  लिखो , गुम -नाम  ही  लिख  दो

मेरी  किस्मत  में  ग़म -ए -तन्हाई  है  लेकिन
तमाम  उम्र  ना  लिखो  मगर  एक  शाम  ही  लिख  दो

ज़ुरूरी  नहीं  की  मिल  जाए  सुकून  हर  किसी  को
सरे -ए -बज़्म  ना  आओ  मगर  बेनाम  ही  लिख  दो

ये  जानता  हूँ  की  उम्र  भर  तनहा  मुझको  रहना  है
मगर  पल  दो  पल , घडी  दो  घडी , मेरे  नाम  ही  लिख  दो

चलो  हम  मान  लेते  हैं  की  सज़ा  के  मुसतहिक़  ठहरे  हम
कोई  इनाम  ना  लिखो , कोई  इलज़ाम  ही  लिख  दो